इसहाक का वृत्तान्त
1 उस देश मेंअकाल पड़ा, वहउस पहले अकालसे अलग थाजो अब्राहम केदिनों में पड़ाथा। इसलिए इसहाकगरार को पलिश्तियोंके राजा अबीमेलेकके पास गया।
2 वहाँ यहोवा ने उसको दर्शन देकरa कहा, “मिस्रमें मत जा; जो देश मैंतुझे बताऊँ उसीमें रह।
3 तू इसी देशमें रह, औरमैं तेरे संगरहूँगा, और तुझेआशीष दूँगा; औरये सब देशमैं तुझको, औरतेरे वंश कोदूँगा; और जोशपथ मैंने तेरेपिता अब्राहम सेखाई थी, उसेमैं पूरी करूँगा।
4 और मैं तेरेवंश को आकाशके तारागण केसमान करूँगा; औरमैं तेरे वंशको ये सबदेश दूँगा, औरपृथ्वी की सारीजातियाँ तेरे वंशके कारण अपनेको धन्य मानेंगी। (उत्प. 15:5)
5 क्योंकि अब्राहम नेमेरी मानी, औरजो मैंने उसेसौंपा था उसकोऔर मेरी आज्ञाओं, विधियों और व्यवस्थाका पालन किया।”
6 इसलिए इसहाक गरारमें रह गया।
इसहाक की चालाकी
7 जब उस स्थानके लोगों नेउसकी पत्नी केविषय में पूछा, तब उसने यहसोचकर कि यदिमैं उसको अपनीपत्नी कहूँ, तोयहाँ के लोगरिबका के कारण जो परम सुन्दरी हैb मुझ कोमार डालेंगे, उत्तरदिया, “वह तोमेरी बहन है।”
8 जब उसको वहाँरहते बहुत दिनबीत गए, तबएक दिन पलिश्तियोंके राजा अबीमेलेकने खिड़की मेंसे झाँककर क्यादेखा कि इसहाकअपनी पत्नी रिबकाके साथ क्रीड़ाकर रहा है।
9 तब अबीमेलेक नेइसहाक को बुलवाकरकहा, “वह तोनिश्चय तेरी पत्नीहै; फिर तूनेक्यों उसको अपनीबहन कहा?” इसहाकने उत्तर दिया, “मैंने सोचा था, कि ऐसा न हो कि उसकेकारण मेरी मृत्युहो।”
10 अबीमेलेक ने कहा, “तूने हम सेयह क्या किया? ऐसे तो प्रजामें से कोईतेरी पत्नी केसाथ सहज सेकुकर्म कर सकता, और तू हमकोपाप में फँसाता।”
11 इसलिए अबीमेलेक नेअपनी सारी प्रजाको आज्ञा दी, “जो कोई उसपुरुष को याउस स्त्री कोछूएगा, वह निश्चयमार डाला जाएगा।”
इसहाक का महान बनना
13 और वह बढ़ाऔर उसकी उन्नतिहोती चली गई, यहाँ तक किवह बहुत धनीपुरुष हो गया।
14 जब उसके भेड़–बकरी, गाय–बैल, और बहुत सेदास–दासियाँ हुईं, तब पलिश्ती उससेडाह करने लगे।
कुओं के लिये झगड़ा
15 इसलिए जितने कुओंको उसके पिताअब्राहम के दासोंने अब्राहम केजीते जी खोदाथा, उनको पलिश्तियोंने मिट्टी सेभर दिया।
16 तब अबीमेलेक नेइसहाक से कहा, “हमारे पास सेचला जा; क्योंकितू हम सेबहुत सामर्थी होगया है।”
17 अतः इसहाक वहाँसे चला गया, और गरार कीघाटी में अपनातम्बू खड़ा करकेवहाँ रहने लगा।
18 तब जो कुएँउसके पिता अब्राहमके दिनों मेंखोदे गए थे, और अब्राहम केमरने के पीछेपलिश्तियों ने भरदिए थे, उनकोइसहाक ने फिरसे खुदवाया; औरउनके वे हीनाम रखे, जोउसके पिता नेरखे थे।
19 फिर इसहाक केदासों को घाटीमें खोदते–खोदतेबहते जल काएक सोता मिला।
20 तब गरार केचरवाहों ने इसहाकके चरवाहों सेझगड़ा किया, औरकहा, “यह जलहमारा है।” इसलिएउसने उस कुएँका नाम एसेकरखा; क्योंकि वेउससे झगड़े थे।
21 फिर उन्होंने दूसराकुआँ खोदा; औरउन्होंने उसके लियेभी झगड़ा किया, इसलिए उसने उसकानाम सित्ना रखा।
22 तब उसने वहाँसे निकलकर एकऔर कुआँ खुदवाया; और उसके लियेउन्होंने झगड़ा न किया; इसलिए उसनेउसका नाम यहकहकर रहोबोत रखा, “अब तो यहोवाने हमारे लियेबहुत स्थान दियाहै, और हमइस देश मेंफूले–फलेंगे।”
परमेश्वर का इसहाक कोदर्शन
23 वहाँ से वहबेर्शेबा को गया।
24 और उसी दिनयहोवा ने रातको उसे दर्शनदेकर कहा, “मैंतेरे पिता अब्राहमका परमेश्वर हूँ; मत डर, क्योंकिमैं तेरे साथहूँ, और अपनेदास अब्राहम केकारण तुझे आशीषदूँगा, और तेरावंश बढ़ाऊँगा।”
25 तब उसने वहाँएक वेदी बनाई, और यहोवा सेप्रार्थना की, औरअपना तम्बू वहींखड़ा किया; औरवहाँ इसहाक केदासों ने एककुआँ खोदा।
अबीमेलेक के साथवाचा
26 तब अबीमेलेक अपनेसलाहकार अहुज्जत, औरअपने सेनापति पीकोलको संग लेकर, गरार से उसकेपास गया।
27 इसहाक ने उनसेकहा, “तुम नेमुझसे बैर करकेअपने बीच सेनिकाल दिया था, अब मेरे पासक्यों आए हो?”
28 उन्होंने कहा, “हमनेतो प्रत्यक्ष देखाहै, कि यहोवातेरे साथ रहताहै; इसलिए हमनेसोचा, कि तूतो यहोवा कीओर से धन्यहै, अतः हमारेतेरे बीच मेंशपथ खाई जाए, और हम तुझसे इस विषयकी वाचा बन्धाएँ;
29 कि जैसे हमनेतुझे नहीं छुआ, वरन् तेरे साथकेवल भलाई हीकी है, औरतुझको कुशल क्षेमसे विदा किया, उसके अनुसार तूभी हम सेकोई बुराई न करेगा।”
30 तब उसने उनकोभोज दिया, औरउन्होंने खाया–पिया।
31 सवेरे उन सभीने तड़के उठकरआपस में शपथखाई; तब इसहाकने उनको विदाकिया, और वेकुशल क्षेम सेउसके पास सेचले गए।
32 उसी दिन इसहाकके दासों नेआकर अपने उसखोदे हुए कुएँका वृत्तान्त सुनाकरकहा, “हमको जलका एक सोतामिला है।”
33 तब उसने उसकानाम शिबा रखा; इसी कारण उसनगर का नामआज तक बेर्शेबापड़ा है।
एसाव की पत्नियाँ
34 जब एसाव चालीसवर्ष का हुआ, तब उसने हित्तीबेरी की बेटीयहूदीत, और हित्तीएलोन की बेटीबासमत को ब्याहलिया;
35 और इन स्त्रियोंके कारण इसहाकऔर रिबका केमन को खेदहुआ।
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