श्रेष्ठगीत 4
श्रेष्ठगीत 4 1 हे मेरी प्रिय तू सुन्दर है, तू सुन्दर है! तेरी आँखें तेरी लटों के बीच में कबूतरों की सी दिखाई देती है। तेरे बाल उन बकरियों के झुण्ड के समान हैं जो गिलाद पहाड़ के ढाल पर लेटी हुई हों। (नीति. 5:19) 2 तेरे दाँत उन ऊन कतरी हुई भेड़ों के झुण्ड के समान … Read more