Jesus Hindi

श्रेष्ठगीत 4

श्रेष्ठगीत 4 1 हे मेरी प्रिय तू सुन्दर है, तू सुन्दर है! तेरी आँखें तेरी लटों के बीच में कबूतरों की सी दिखाई देती है। तेरे बाल उन बकरियों के झुण्ड के समान हैं जो गिलाद पहाड़ के ढाल पर लेटी हुई हों। (नीति. 5:19) 2 तेरे दाँत उन ऊन कतरी हुई भेड़ों के झुण्ड के समान … Read more

श्रेष्ठगीत 3

 बेचैनी वाली रात श्रेष्ठगीत 3 1 रात के समय मैं अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती रही; मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया; “मैं ने कहा, मैं अब उठकर नगर में, (यशा. 3:1) 2 और सड़कों और चौकों में घूमकर अपने प्राणप्रिय को ढूँढूँगी।” मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया। … Read more