भजन संहिता 115
मूर्तियों की निरर्थकता और परमेश्वर की विश्वसनीयता भजन संहिता 115 1 हे यहोवा, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन् अपने ही नाम की महिमा, अपनी करुणा और सच्चाई के निमित्त कर। 2 जाति-जाति के लोग क्यों कहने पाएँ, “उनका परमेश्वर कहाँ रहा?” 3 हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; उसने जो चाहा वही किया है। 4 उन … Read more